-जनकवि स्व.कोदूराम" दलित "
प्रकृति हर पाँच तत्व सिरजिस
आगी ,पानी , भुइयाँ , अगास
अउ पवन - एक ले एक जबर
चंदा - सुरुज चमकय- दमकयं
बरसय बदरी मल्हार गाय
बहुजन हिताय बहुजन सुखाय.
फल अपन रुख मनमाँ मीठ-मीठ
सबला खवायं खुद नहीं खायं
नदिया - नरवा फरिहर पानी
जुच्छा भूसां - चारा खाके
दे बड़ बलकारी दूध , गाय
बहुजन हिताय बहुजन सुखाय.
तुलसी हर रचिस रमायन ला
भगवान कृष्ण - भगवद गीता
ऋषि मुनि मन वेद पुरान शास्त्र
अउ रचिन सुकवि जन-मन कविता
सत धरम-करम के ये सब झन
सब किसम बताइन हें उपाय
बहुजन हिताय बहुजन सुखाय.
धरमी मन मठ मंदिर बनायं
बावली ,कुंवा,तरिया खनायं
उन भेद-भाव मानय न कभू
चाहे कोन्हों मन आयं-जायं
ये किसिम धरम के कारज मा
ओ मन लक्खों रूपया लगायं
बहुजन हिताय बहुजन सुखाय.
फाँसी मा झूलिस भगत सिंह
होमिस परान नेता सुभाष
अउ गाँधी बबा अघात कष्ट
सहि-सहि के पाइस सरगवास
कतकोन बहादुर मरिन-मिटिन
तब ये सुराज ला सकिन लाय.
बहुजन हिताय बहुजन सुखाय.
नेहरु जी देश-विदेश जायं
अउ पंचशील के गुण बतायं
"सब कदम मिला के चलो,जियो-
अउ जियन देव"-कहि-कहि मनायं
ये किसम सिखो के महामंत्र
झगड़ा-रगड़ा दुरिहा करायं
बहुजन हिताय बहुजन सुखाय.
कतको ठन तीरथ नवा-नवा
अब हमर देश में बनत हव यं
जेला कोन्हों मन नाहर-बांध
कल-घर,बिजली-घर,घलो कहयं
ये तीरथ फल तत्काल देयं
ये सुबरन के बरखा करायं
बहुजन हिताय बहुजन सुखाय
आचार्य विनोबा भावे-ह
पैदल जा-जाके गाँव-गाँव
मांगे भुइयां,धन,द्रव्य-दान
अउ बांटत जावय ठाँव-ठाँव
निच्चट सियान हो गे हे पर
कर्त्तव्य अपन वो करत जाय
बहुजन हिताय बहुजन सुखाय.
अब सहकारी खेती किसान
करिहीं, उपजाहीं गहूँ-धान
जुर मिल के सबो काम करिहीं
अउ सुखी सबो बनिहीं महान
हर गाँव-गाँव बन जाय स्वर्ग
हम करत हवन येहीच उपाय
बहुजन हिताय बहुजन सुखाय.
पाए हन उत्तम नर-देही
पाए हन हम बल अउ अक्कल
पल भर में कठिन समस्या ला
चाहीं तो हम करथीं हल
तौ आवव तन-मन-धन देके
नव भारत ला सुन्दर सजायं
बहुजन हिताय बहुजन सुखाय.
भजन करो भोजन करो गाओ ताल तरंग।
ReplyDeleteमन मेरो लागे रहे सब ब्लोगर के संग॥
होलिका (अपने अंतर के कलुष) के दहन और वसन्तोसव पर्व की शुभकामनाएँ!