Wednesday, March 23, 2011

दाई ,बासी देबे कब ?

- कोदूराम "दलित"

दाई ,बासी  देबे कब ?
बेटा पढ़ के आबे तब .

पढ़ लिख के दाई ,मैं ह हो जाहूँ हुसियार

तोला देहूं रे बेटा , मीठ - मीठ  कुसियार
खाबे हब-हब
मजा पाबे रे गजब
बेटा पढ़ के आबे तब .
दाई ,बासी  देबे कब ?

पढ़ लिख के दाई ,मैं ह हो जाहूँ किसान

तोला देहूं रे बेटा , मीठ - मीठ  पकवान
खाबे हब-हब
मजा पाबे रे गजब .
बेटा पढ़ के आबे तब .
दाई ,बासी  देबे कब ?

पढ़ लिख के दाई ,मैं ह हो जाहूँ बनिहार 

तोला देहूं रे बेटा , मैं करी -लाडू  चार 
खाबे हब-हब
मजा पाबे रे गजब
बेटा पढ़ के आबे तब .
दाई ,बासी  देबे कब ?

पढ़ लिख के दाई ,मैं ह हो जाहूँ साहब

तोला देहूं रे बेटा , मैं कोढ़ा-रोटी तब
खाबे हब-हब
मजा पाबे रे गजब .
बेटा पढ़ के आबे तब .

पढ़ लिख के दाई ,मैं  जगाहूँ अपन देश

जन -जन ला देबे-सहकार के सन्देश
सुखी  होबोन सब-
मिल के काम करे माँ अब  .
बेटा पढ़ के आबे तब .
दाई ,बासी  देबे कब ?

मोर देश के दाई ,मोला करना हे निरमान

बनबे रे दुलरुवा बेटा,तैं किसान
खुश होहूँ गजब
तोर मैं देख-देख करतब
बेटा पढ़ के आबे तब .
दाई ,बासी  देबे कब ?

No comments:

Post a Comment