Friday, March 4, 2011

छत्तीसगढ़ के जन-कवि स्व.कोदूराम "दलित "के दोहे.



आजादी के संघर्ष के समय राष्ट्रीयता की भावना जागृत करने के लिए दलित जी ने छत्तीसगढ़ी दोहों को राउत  नाचा  के माध्यम से गाँव-गाँव तक पहुँचाया.प्रस्तुत हैं राउत नाचा के छत्तीसगढ़ी दोहे :-
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हमर  तिरंगा  झंडा  भैया , फहरावै    असमान
येकर शान रखे खातिर  हम ,देबो अपन परान .

हमर  तिरंगा  झंडा   भैया ,  फहरावै    असमान
चलो चलो संगी हम गाबो ,जन गण  मन के गान
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गाँधी-बबा देवाइस भैया  , हमला  सुखद सुराज
ओकर मारग में हम सबला ,चलना चाही आज.
4.
गाँधी जी के छापा संगी,ददा बिसाइस आज
भारत माता के पूजा-तैं, कर ररूहा महाराज.
5.
गोवध - बंदी  सुनके  भैया ,  छेरी बपुरी रोय
मोला कोन  बचाही बापू,तोर बिन आफत होय.
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हम सुराज के रक्षा करबो  , चाहे  जाय  परान
अपन देश  ला सुखी  बनाके,करबो जन-कल्यान.


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संत विनोबा  भावे भैया,मांगे भुइयाँ दान .
कुछ बड़हर मन सुनतेच नइयें,फुटगे उंखर कान.
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हम राऊत के लइका भैया,बैला गाय चरायं 
चतुर बन जाबो कहिके हम,रोज मंदरसा जायं .
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पढ़ो  -लिखो बुढ़वा  मन अब,झन रहो अंगूठा छाप
कब तक ले इहि किसम रहू,तुम्मन बैला के बाप.
१०.
लंद-फंद ला छोडो संगी,करो देश के काम
नेहरु औंटा बात बताइस,"अब आराम हराम" .
११.
करबो हम सहकारी खेती,सहकारी सब काम
पंचाइत-माँ राज चलाके,बनबो सुखी तमाम.
१२.
हमर देश के उन्नति देखिन,चकराइन सब देश
करबो सफल योजना ला,हरबो सकल कलेश.
१३.
जउन देश के बनत काम में,बाधा डारत जायं
भैया मन अपन देश के,बैरी-दुश्मन आयं.


१४.
हे भगवान ! अकल बुध हम सब, भोकवा मन ला आय.
सहकारी सब कामधाम  ला , सब्बो  झन अपनाय.
१५.
आज हमर लोक- तंतर के,आये हवे  देवारी
बुगुर-बुगुर तैं दिया बार दे,नोनी के महतारी.
१६.
जगर-मगर बस्ती हर लगे,इन्द्रपुरी-जस आज
जानो - मानो  आजे आगै रामचंद्र के राज.
१७.
कैसे धारे धार बोहागे , राजा मन के राज
मालगुजारी के ऊपर में,ठौंका गिरगे गाज.
१८.
सांड बरोबर किंजर - किंजर के ,बैठे - बैठे खायं.
भैया मन धरती खातिर,जुच्छा बोझा आयं.
१९.
बिन पेंदी के ढुंडवा भैया,ढुलमुल-ढुलमुल होय
पद-पदवी सब खो के घर में,डौकी सांही   रोय .
२०.
आजकल के  ढोंगी भैया , लम्हा  तिलक लगायं
हरिजन मन के छुआ माने,खोखसी मछरी खायं .

2 comments:

  1. आपका एसएमएस मिलने से पहले आरंभ पर पहुंच चुका था और वहीं से लिंक लेकर आया. बढि़या दोहे. इस संपदा का संकलन और प्रस्‍तुति बेहद जरूरी.

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  2. सुन्दर दोहे!

    जै छत्तीसगढ़ महतारी!

    कृपया टिप्पणियों के लिए वर्ड व्हेरिफिकेशन को हटा दें।

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