Sunday, March 6, 2011

सबै जिनिस चालीस पसेरी --कोदूराम "दलित"


चालीस में सुल्टू गुरमटिया,चालीस में लो बुढ़िया बांको
चालीस में ले मुर्रा-लाई ,चालीस जन जुरमिल के फांको
चालीस में लो कोदों-कुटकी,चालीस में गेहूं के ढेरी
सबै जिनिस चालीस पसेरी .

चालीस में धोती का जोड़ा,चालीस में लो लहंगा-साड़ी
चालीस से घर-गृहस्थी की,पेलो किसी तरह से गाड़ी
बता रहा हूँ आज आपको,चालीस की बातें बहुतेरी
सबै जिनिस चालीस पसेरी .

चालीस में शिक्षक रख लो,चालीस में रख लो चपरासी
चालीस दे कर वैद्यराज को,बंद करा लो सरदी-खांसी
चालीस में तुम गैया ले लो,चालीस में ही ले लो छेरी
सबै जिनिस चालीस पसेरी .

चालीस चोर अलीबाबा के,चालीस-चालीस रोजी पाते
चालीस ढोर वली बाबा  के,चालीस-चालीस नित पगुराते
चालीस आसानी से पाता,नक्खी बाबा  करके फेरी
सबै जिनिस चालीस पसेरी .

चालीस में वकील-मुंशी '' , है अर्जीनवीस भी राजी
चालीस में चढ़ता है चश्मा,चालीस है  महान भैया जी
चालीस की ही खास फिकर में,हाथ पसारे खड़ी कछेरी
सबै जिनिस चालीस पसेरी .

मेरे चालीस कोटि भाइयों ,चालीस का चक्कर है बाँका
चालीस खातिर कहना पड़ता,गदहे  -गदहे  को भी काका
पढ़ो नित्य हनुमान चालीसा,चालीस बार अरज है मेरी
सबै जिनिस चालीस पसेरी .


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