– जनकवि स्व.कोदूराम ”दलित”
गो-वध बंद करो जल्दी अब, गो-वध बंद करो
भाई ! इस स्वतंत्र भारत में, गो-वध बंद करो.
महापुरुष उस बाल कृष्ण का, याद करो तुम गोचारण
नाम पड़ा गोपाल कृष्ण का, याद करो तुम किस कारण
माखन-चोर उसे कहते हो, याद करो तुम किस कारण
जग-सिर-मौर उसे कहते हो, याद करो तुम किस कारण.
मान रहे हो देव तुल्य, उससे तो तनिक डरो
गो-वध बंद करो जल्दी अब, गो-वध बंद करो.
समझाया ऋषि दयानंद ने, गो-वध भारी पातक है
समझाया बापू ने गो-वध, राम राज्य का घातक है
सब जीवों को स्वतंत्रता से, जीने का पूरा हक है
नर-पिशाच अब उनकी निर्मम हत्या करते नाहक है.
सत्य-अहिंसा का अब तो, जन-जन में भाव भरो
गो-वध बंद करो जल्दी अब, गो-वध बंद करो.
जिस माता के बैलों द्वारा,अन्न-वस्त्र तुम पाते हो
जिसके दही-दूध-मक्खन से, बलशाली बन जाते हो
जिसके बल पर रंगरलियाँ करते हो,मौज उड़ाते हो
अरे ! उसी माता की गर्दन पर तुम छुरी चलाते हो.
गो-हत्यारों ! चुल्लू भर पानी में तुम डूब मरो
गो-वध बंद करो जल्दी अब, गो-वध बंद करो.
बहती थी जिस पुण्य भूमि पर, दही-दूध की सरितायें
आज वहीं निधड़क कटती है, दीन-हीन लाखों गायें
कटता है कठोर दिल भी, सुन उनकी दर्द भरी आहें
आज हमारी अपनी यह , सरकार जरा कुछ शरमाये.
पुण्य-शिखर पर चढ़ो, पाप के खंदक में न गिरो
गो-वध बंद करो जल्दी अब, गो-वध बंद करो.
आज यहाँ के शासक, निष्ठुर म्लेच्छ यवन क्रिस्तान नहीं
आज यहाँ पर किसी और की, सत्ता नहीं - विधान नहीं
आज यहाँ सब कुछ है अपना,पर गौ का कल्याण नहीं
गो-वध रोके कौन ! तनिक, इस ओर किसी का ध्यान नहीं
गो-रक्षा, गो - सेवा कर , भारत का कष्ट हरो
गो-वध बंद करो जल्दी अब, गो-वध बंद करो.
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आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
ReplyDeleteयदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।