Friday, May 6, 2011

अनिवार्य शिक्षा

-जनकवि  स्व.कोदूराम "दलित"

पढ़े     लिखे     बर   जाव    -    गुन    सीखे    बर    जाव 
पढ़     लिख   के   भैया   !   बने      नाम    ला     कमाव.

अपन   गाँव   मा   शाला  -  भवन ,  जुरमिल  के  बनाव

ओकर    हाता   के   भितरी   मा ,   कुँआ   घलो   खनाव
फुलवारी   अउ   रुख   लगाके    ,   अच्छा   बने   सजाव
सुन्दर   -  सुन्दर   पोथी   -  पुस्तक  ,  बाँचे बर मंगवाव.

जउने     चाहू      होही   ,     दू  -  दू     हाथ    तो   लगाव
पढ़    लिख   के   भैया    !      बने     नाम   ला    कमाव.

गुरूजी  मन  ला  सदा सब किसम, खुश राखत तुम जाव

छै   से   ग्यारा  बारिस   भीतर  के , सब  लइका  पढ़वाव
टूरा    हो   के   टूरी   सब   ला   ,   ज्ञानी   -   गुनी  बनाव
किसिम-किसिम के चिजबस गढ़ना, संगे सँग सिखवाव.

 बनैं   कमाई  पूत , सबो   झन  अइसन  जुगुत   जमाव
पढ़    लिख   के   भैया    !      बने     नाम   ला    कमाव.

1 comment:

  1. कोदू राम दलित जी की प्रेरक रचना प्रस्तुत करने के लिए आभार।

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