हे ओम् रूप , गज वदन देव
हे गणनायक , हे लम्बोदर |
हे सिद्धि सदन ,कल्याण धाम
शत-शत प्रणाम करुणा सागर ||
हे एकदंत , हे दयावंत
विज्ञान पुंज , अनुपम उदार |
कर दूर अविद्या , अनाचार
भर दे जन-जन में सद् विचार ||
सुख शांति सम्पदा कर प्रदान
त्रय ताप पाप दुख दारिद हर |
हे ओम् रूप , गज वदन देव
हे गणनायक , हे लम्बोदर ||
भारत - स्वतंत्रता रहे अमर
गण-तंत्र सफल होवे प्रभुवर |
दे दिव्य ज्ञान, दे शक्ति प्रखर
हो जायँ विज्ञ सब नारी नर ||
सुख - सुषमा लहरावे घर घर
यश छा जावे अवनी अम्बर |
हे ओम् रूप , गजवदन देव
हे गण नायक , हे लम्बोदर ||
हे सिद्धि सदन ,कल्याण धाम
शत-शत प्रणाम करुणा सागर ||
जनकवि स्व. कोदूराम “दलित”
हिंदी काव्य संचय
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