– जनकवि स्व.कोदूराम ”दलित”
दोहा
जय-जय अमर शहीद जय, सुख-सुराज-तरु-मूल
तुम्हें चढ़ाते आज हम , श्रद्धा के दो फूल.
उद्धारक माँ - हिंद के, जन - नायक, सुख-धाम
विश्व वंद्य बापू तुम्हें , शत् -शत् बार प्रणाम.
चौपाई
जय जय राष्ट्र पिता अवतारी
जय निज मातृभूमि–भय हारी.
जय-जय सत्य अहिंसा -धारी
विश्व-प्रेम के परम पुजारी.
जय टैगोर- तिलक अनुगामी
जय हरि-जन सेवक निष्कामी.
जय-जय कृष्ण भवन अधिवासी
जय महान , जय सद्गुण राशी.
जय-जय भारत भाग्य-विधाता
जय चरखाधर,जन दुख: त्राता.
जय गीता-कुरान –अनुरागी
जय संयमी ,तपस्वी,त्यागी.
जय स्वातंत्र्य -समर -सेनानी
छोड़ गये निज अमर कहानी.
किया देश हित जप-तप अनशन
दिया ज्ञान नूतन , नव जीवन.
तुमने घर-घर अलख जगाया
कर दी दूर दानवी माया.
बापू एक बार फिर आओ
राम राज्य भारत में लाओ.
अनाचार - अज्ञान मिटाओ
भारत भू को स्वर्ग बनाओ.
बिलख रही अति भारत माता
दुखियों का दु:ख सुना न जाता.
दोहा
दीन-दलित नित कर रहे, देखो करुण पुकार
आओ मोहन हिंद में , फिर लेकर अवतार.
विश्व विभूति, विनम्र वर,अति उदार मतिमान
नवयुग - निरमाता,विमल,समदरशी भगवान.
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दलित जी की इस रचना के लिये धन्यवाद ।
ReplyDeleteबापू को नमन
ReplyDeleteजनकवि रचित बापू वंदना प्रस्तुत करने के लिए आभार।
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