Thursday, September 4, 2014

गुरु है सकल गुणों की खान –

-जनकवि स्व.कोदूराम ”दलित”

गुरु, पितु, मातु, सुजन,भगवान, 
ये पाँचों हैं पूज्य महान
गुरु  का  है  सर्वोच्च  स्थान , 
गुरु है सकल गुणों की खान.


कर अज्ञान तिमिर का नाश, 
दिखलाता यह ज्ञान-प्रकाश
रखता  गुरु  को  सदा  प्रसन्न , 
बनता  वही  देश सम्पन्न.


कबिरा, तुलसी, संत-गुसाईं, 
सबने गुरु की महिमा गाई
बड़ा  चतुर  है यह कारीगर , 
गढ़ता गाँधी और जवाहर.


आया पावन पाँच-सितम्बर ,
श्रद्धापूर्वक हम सब मिलकर
गुरु की महिमा गावें आज , 
“ शिक्षक-दिवस ” मनावें आज.


एकलव्य – आरुणि की नाईं , 
गुरु के शिष्य बने हम भाई
देता  है   गुरु विद्या – दान , 
करें  सदा  इसका  सम्मान.


अन्न –वस्त्र –धन दें भरपूर , 
गुरु  के  कष्ट  करें  हम  दूर
मिल जुलकर हम शिष्य–सुजान ,
करें राष्ट्र का नवनिर्माण.

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5 comments:

  1. बहुत बढ़िया कविता
    पढ़ के बहुत अच्छा लागीस

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  2. छत्तीसगढी हर छंद म बंधे अइसे फभथे जइसे मुञ्दरी म मूञ्गा । एला दुनिया भर म बगराय के जिम्मेदारी हमी मन ल निभाना हे ।

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  3. छत्तीसगढी हर छंद म बंधे अइसे फभथे जइसे मुञ्दरी म मूञ्गा । एला दुनिया भर म बगराय के जिम्मेदारी हमी मन ल निभाना हे ।

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  4. छत्तीसगढी हर छंद म बंधे अइसे फभथे जइसे मुञ्दरी म मूञ्गा । एला दुनिया भर म बगराय के जिम्मेदारी हमी मन ल निभाना हे ।

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  5. छत्तीसगढी हर छंद म बंधे अइसे फभथे जइसे मुञ्दरी म मूञ्गा । एला दुनिया भर म बगराय के जिम्मेदारी हमी मन ल निभाना हे ।

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