– जनकवि स्व.कोदूराम ”दलित”
तब के नेता जन-हितकारी I अब के नेता पदवी धारी II
तब के नेता किये कमाल I अब के नित पहने जयमाल II
तब के नेता पटका वाले I अब के नेता लटका वाले II
तब के नेता गाँधी वादी I अब के नेता निरे विवादी II
तब के नेता काटे जेल I अब के आधे चौथी फेल II
तब के नेता गिट्टी फोड़ें I अब के नेता कुर्सी तोड़ें II
तब के नेता डण्डे खायें I अब के नेता अण्डे खायें II
तब के नेता लिये सुराज I अब के पूरा भोगें राज II
तब के नेता बने भिखारी I अब के नेता बनें शिकारी II
तब के एक पंथ पर चलते I अब के नेता रंग बदलते II
तब के त्यागी,तपसी, सीधे I अब के नेता व्होट खरीदे II
तब के नेता सब ठुकराये I अब के शाही महल बनाये II
तब के को आराम-हराम I अब के को सबसे प्रिय दाम II
तब के नेता को हम मानें I अब के नेता को पहिचाने II
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लाजवाब। अद्भुत!
ReplyDeleteआपने बहुत अच्छी कविता लिखी हैं. इसी विषय Politics से सम्बंधित मिथिलेश२०२०.कॉम पर लिखा गया लेख अवश्य देखिये!
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