-जनकवि स्व.कोदूराम "दलित"
सूत कातबो भइया , आव
अपन - अपन तकली ले लाव.
बिल्कुल कम हे येकर दाम
पर आथय ये अड़बड़ काम.
छोड़ो आलस , कातो सूत
भगिही बेकारी के भूत.
घर में रहो कि बाहिर जाव
जिहाँ जाव , तकली ले जाव.
तकली चलथे खरर -खरर
सूत निकलथे सरर -सरर.
उज्जर-उज्जर निकलय तार
जइसे रथय दूध के धार.
भूलो मत बापू के बात
करो कताई तुम दिन-रात.
धंधा इही करो सब झन
खादी पहिन , बचाओ धन.
(आजादी प्राप्ति के प्रारम्भिक समय में रचित)